बुद्ध विचार ही शुद्ध विचार है मन का सँसार है जंजाल बस मोह माया का दुख ही दुख है चारों ओर यहाँ पर हो रहा रूदन देखों तुम जहाँ पर मन विचलित जो हुआ तेरा एक बार तू भी सिद्धार्थ से बुद्ध बन जाएगा कर पार आवरण अपने शरीर का आत्मज्ञान तुझको स्वयं हो जाएगा सँसार के हर दुःख में उत्तर तेरे प्रश्न का बस दृष्टि बुद्ध की और हृदय में दया रख हो जाएगा परमेश्वर से मिलन तब तेरा मिल जाएगा पृथ्वी पर निर्वाण तब ♥️ Challenge-580 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ ♥️ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए।