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ख़्वाहिश और जरुरत कब तक रोकेगा रास्ता ये दुःख म

ख़्वाहिश और जरुरत कब तक रोकेगा  रास्ता  ये  दुःख  मेरे  जनून  का 
दिन  रात  लड़ता  हू  मैने  छोड़  दिया  है  साथ  सकून  का प्रदीप
ख़्वाहिश और जरुरत कब तक रोकेगा  रास्ता  ये  दुःख  मेरे  जनून  का 
दिन  रात  लड़ता  हू  मैने  छोड़  दिया  है  साथ  सकून  का प्रदीप