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रात चुप चाप हैं पर चाँद खामोश नहीं कैसे कहदूँ मैं

रात चुप चाप हैं पर चाँद खामोश नहीं 
कैसे कहदूँ मैं की तुम याद ही नहीं 
ऐसा डूबा हूँ तुम्हारी यादों मैं की हाथ मैं 
ज़ाम हैं पर पीने का 
होश हीं नहीं रात चुप चाप हैं पर चाँद खामोश नहीं कैसे कह
रात चुप चाप हैं पर चाँद खामोश नहीं 
कैसे कहदूँ मैं की तुम याद ही नहीं 
ऐसा डूबा हूँ तुम्हारी यादों मैं की हाथ मैं 
ज़ाम हैं पर पीने का 
होश हीं नहीं रात चुप चाप हैं पर चाँद खामोश नहीं कैसे कह

रात चुप चाप हैं पर चाँद खामोश नहीं कैसे कह #विचार