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'दीपक जलता रहा रातभर' तन का दीया, प्राण की बाती,

'दीपक जलता रहा रातभर'

तन का दीया, प्राण की बाती,
दीपक जलता रहा रात-भर ।

दु:ख की घनी बनी अँधियारी,
सुख के टिमटिम दूर सितारे,
उठती रही पीर की बदली,
मन के पंछी उड़-उड़ हारे ।

बची रही प्रिय की आँखों से,
मेरी कुटिया एक किनारे,
मिलता रहा स्नेह रस थोड़ा,
दीपक जलता रहा रात-भर ।

दुनिया देखी भी अनदेखी,
नगर न जाना, डगर न जानी;
रंग देखा, रूप न देखा,
केवल बोली ही पहचानी,

कोई भी तो साथ नहीं था,
साथी था आँखों का पानी,
सूनी डगर सितारे टिमटिम,
पंथी चलता रहा रात-भर ।

'गोपाल सिंह नेपाली' #mizzajseshayar
#quotes
#gopaldasji
#hindi
'दीपक जलता रहा रातभर'

तन का दीया, प्राण की बाती,
दीपक जलता रहा रात-भर ।

दु:ख की घनी बनी अँधियारी,
सुख के टिमटिम दूर सितारे,
उठती रही पीर की बदली,
मन के पंछी उड़-उड़ हारे ।

बची रही प्रिय की आँखों से,
मेरी कुटिया एक किनारे,
मिलता रहा स्नेह रस थोड़ा,
दीपक जलता रहा रात-भर ।

दुनिया देखी भी अनदेखी,
नगर न जाना, डगर न जानी;
रंग देखा, रूप न देखा,
केवल बोली ही पहचानी,

कोई भी तो साथ नहीं था,
साथी था आँखों का पानी,
सूनी डगर सितारे टिमटिम,
पंथी चलता रहा रात-भर ।

'गोपाल सिंह नेपाली' #mizzajseshayar
#quotes
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