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बदलते मौसम की राहों में, बिन पानी की धरती बेजान है

बदलते मौसम की राहों में,
बिन पानी की धरती बेजान है।
जब से तेरा साथ छूटा है,
ये दिल बेहाल और उदास है।

तेरी यादों की बरसात के बाद,
सूखे पत्तों की तरह बिखरा हूँ।
अब तेरे बिना ज़िन्दगी की राहें,
सूखी हवाओं में बस बहा हूँ।

कहानी तेरी यादों की गहराइयों में,
ये दिल तन्हाई की सूनी है।
बिन तेरे ये ज़िन्दगी बेमानी है,
सूखी रेत की तरह बिखरी है।

बस तेरी यादों का साहिल हो,
सूखे दिल को बहार मिले।
क्योंकि बिना तेरे ये ज़िंदगी,
सूखी धरती की तरह बेवजह है।

©Nirankar Trivedi
  बदलते मौसम की राहों में,
बिन पानी की धरती बेजान है।
जब से तेरा साथ छूटा है,
ये दिल बेहाल और उदास है।तेरी यादों की बरसात के बाद,
सूखे पत्तों की तरह बिखरा हूँ।
अब तेरे बिना ज़िन्दगी की राहें,
सूखी हवाओं में बस बहा हूँ।कहानी तेरी यादों की गहराइयों में,
ये दिल तन्हाई की सूनी है।

बदलते मौसम की राहों में, बिन पानी की धरती बेजान है। जब से तेरा साथ छूटा है, ये दिल बेहाल और उदास है।तेरी यादों की बरसात के बाद, सूखे पत्तों की तरह बिखरा हूँ। अब तेरे बिना ज़िन्दगी की राहें, सूखी हवाओं में बस बहा हूँ।कहानी तेरी यादों की गहराइयों में, ये दिल तन्हाई की सूनी है। #Poetry #sookha #Sukha #poetry_addicts

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