कौन समझता इस दिल का दर्द जो समझे ना इस दिल के जज्बात सिसकियों में घुट कर रह गई दिल में छुपी थी जो एक बात कौन समझता इस दिल का दर्द जो समझे ना इस दिल के जज्बात सिसकियों में घुट कर रह गई दिल में छुपी थी जो एक बात कुछ ख्वाहिश है अधूरी सी अंदर ही दम तोड़ रही हैं मेरी तन्हाई तेरी खातिर