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जो अज़ीज़ थे मेरे, अपने में खो गए कुछ को रूखसत किय

जो अज़ीज़ थे मेरे, अपने में खो गए
कुछ को रूखसत किया मैंने, कुछ दूर हो गए
दिखा तेरे रंगमंच के किरदार क्या-क्या है
ज़िंदगी, मेरे लिए इंतज़ाम क्या-क्या है

जो मंज़र थे बुलंदियों के, गहराइयों में खो गए
कुछ यादगार जो लम्हे थे, ओझल हो गए
दिखा तेरी तरकश में और तीर क्या-क्या है
ज़िंदगी, मेरे लिए इंतज़ाम क्या-क्या है
 जो अज़ीज़ थे मेरे, अपने में खो गए
कुछ को रूखसत किया मैंने, कुछ दूर हो गए
दिखा तेरे रंगमंच के किरदार क्या-क्या है
ज़िंदगी, मेरे लिए इंतज़ाम क्या-क्या है

जो मंज़र थे बुलंदियों के, गहराइयों में खो गए
कुछ यादगार जो लम्हे थे, ओझल हो गए
दिखा तेरी तरकश में और तीर क्या-क्या है
जो अज़ीज़ थे मेरे, अपने में खो गए
कुछ को रूखसत किया मैंने, कुछ दूर हो गए
दिखा तेरे रंगमंच के किरदार क्या-क्या है
ज़िंदगी, मेरे लिए इंतज़ाम क्या-क्या है

जो मंज़र थे बुलंदियों के, गहराइयों में खो गए
कुछ यादगार जो लम्हे थे, ओझल हो गए
दिखा तेरी तरकश में और तीर क्या-क्या है
ज़िंदगी, मेरे लिए इंतज़ाम क्या-क्या है
 जो अज़ीज़ थे मेरे, अपने में खो गए
कुछ को रूखसत किया मैंने, कुछ दूर हो गए
दिखा तेरे रंगमंच के किरदार क्या-क्या है
ज़िंदगी, मेरे लिए इंतज़ाम क्या-क्या है

जो मंज़र थे बुलंदियों के, गहराइयों में खो गए
कुछ यादगार जो लम्हे थे, ओझल हो गए
दिखा तेरी तरकश में और तीर क्या-क्या है

जो अज़ीज़ थे मेरे, अपने में खो गए कुछ को रूखसत किया मैंने, कुछ दूर हो गए दिखा तेरे रंगमंच के किरदार क्या-क्या है ज़िंदगी, मेरे लिए इंतज़ाम क्या-क्या है जो मंज़र थे बुलंदियों के, गहराइयों में खो गए कुछ यादगार जो लम्हे थे, ओझल हो गए दिखा तेरी तरकश में और तीर क्या-क्या है #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #agarwalspeaks