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*नकारात्मक आत्मवार्ता के दौरान हम ख़ुद से जाने-अनज

*नकारात्मक आत्मवार्ता के दौरान हम ख़ुद से जाने-अनजाने कुछ ऐसी बातें कहते हैं- जैसे*
*मेरी यादाश्त कमज़ोर है ।*

मैं हिसाब-किताब में कच्चा हूँ ।
मैं खिलाड़ी नहीं हूँ ।
मैं थक गया हूँ ।
इस तरह की बातें केवल नकारात्मकता को मज़बूत बनाती हैं और हमें नीचे गिराती हैं। जल्दी ही हमारा दिमाग़ इन बातों में विश्वास करने लगता है और हमारे व्यवहार में भी उसी मुताबिक बदलाव आने लगता है । ये बातें अपने आप हक़ीक़त बन जाने वाली भविष्यवाणियों का रूप ले लेती हैं । इसलिए जितना जल्दी हो सके नकारात्मक विचारों से ओर नकारात्मक लोगों से दूरी बना लेनी चाहिए । 🙏*

©KRISHNA #teatime
*नकारात्मक आत्मवार्ता के दौरान हम ख़ुद से जाने-अनजाने कुछ ऐसी बातें कहते हैं- जैसे*
*मेरी यादाश्त कमज़ोर है ।*

मैं हिसाब-किताब में कच्चा हूँ ।
मैं खिलाड़ी नहीं हूँ ।
मैं थक गया हूँ ।
इस तरह की बातें केवल नकारात्मकता को मज़बूत बनाती हैं और हमें नीचे गिराती हैं। जल्दी ही हमारा दिमाग़ इन बातों में विश्वास करने लगता है और हमारे व्यवहार में भी उसी मुताबिक बदलाव आने लगता है । ये बातें अपने आप हक़ीक़त बन जाने वाली भविष्यवाणियों का रूप ले लेती हैं । इसलिए जितना जल्दी हो सके नकारात्मक विचारों से ओर नकारात्मक लोगों से दूरी बना लेनी चाहिए । 🙏*

©KRISHNA #teatime
shankarlal2621

KRISHNA

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