जनहित की रामायण - 85 पर्यावरण रक्षण के गीत गाये जाते, समय समय पर कानून भी बनाते । कानून पर अमल होता नहीं के बराबर, नतीजतन हम प्रदूषण बढ़ाते जाते ।। एक एक बिस्कुट भी अलग प्लास्टिक में, बड़ी कंपनियों क्यूँ कानून को तिलांजलि दें । कंपनी बंद करने का गर दिया जाय आदेश, क्यूँ ना उनके बैंक खाते अविलंब बंद कर दें ।। एक दिन में, दिन में दिखने लगेंगे तारे, नानी याद आने के भी दिखेंगे नजारे । आनन-फानन में अमल होगा यशस्वी, घुटनों पे आयेंगे पर्यावरण दुश्मन सारे ।। माना सरकार के पास कर्मियों की है कमी, देश में बेरोजगारों की नहीं कोई कमी । सिर्फ़ दंड वसूली राशि का दें 20 प्रतिशत, एक दिन में दोषियों की आंखों में दिखेगी नमी ।। जनता से भी है अनुरोध, रक्खें पर्यावरण का बोध । कैंसर से जूझ रहे असंख्य, आखिर कब आयेगा हमें होश ।। - आवेश हिंदुस्तानी 20.07.2022 ©Ashok Mangal #AaveshVaani #JanhitKiRamayan #environment #Pollution #Plastic #plasticpollution #PlasticFreeIndia