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सरकार के लिए संदेश लोक लाज अब बीमार पडी है, मानवत

सरकार के लिए संदेश

लोक लाज अब बीमार पडी है, मानवता का मरण हुआ।
दिन दहाड़े चौराहों पर,द्रोपदी का चीरहरण हुआ।।

कहीं रौब कहीं गालियाँ,कहीअपहरण हो रहे हैं।
हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं,गहरी नींद में सो रहे हैं।।
हाय तौबा मच जाता है जब जले कृषक की पराली है।
मौन तोडकर कुछ तो  बोलो,आज जली एक  लाली है।।
मात पिता का मान गया, कब होगा आभास  तुम्हें।
जायेगी इज्जत जब निज सुता की ,क्या  तब होगा अहसास तुम्हें।।
मौन व्रत क्यों लिया है,अब तो इसका अंत करो।
माँ बहनों की रक्षा कुछ प्रबंध करो।।
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ के नारे को,  करके सिद्ध दिखलादो तुम।
महाभारत नहीं कर सकते तो एक दो को फांसी पर लटका दो तुम।।
कवि रामदास गुर्जर
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 #चीर#हरण
सरकार से मेरी मांग 
अगर उचित लगे तो समर्थन करें।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सरकार के लिए संदेश

लोक लाज अब बीमार पडी है, मानवता का मरण हुआ।
दिन दहाड़े चौराहों पर,द्रोपदी का चीरहरण हुआ।।

कहीं रौब कहीं गालियाँ,कहीअपहरण हो रहे हैं।
हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं,गहरी नींद में सो रहे हैं।।
हाय तौबा मच जाता है जब जले कृषक की पराली है।
मौन तोडकर कुछ तो  बोलो,आज जली एक  लाली है।।
मात पिता का मान गया, कब होगा आभास  तुम्हें।
जायेगी इज्जत जब निज सुता की ,क्या  तब होगा अहसास तुम्हें।।
मौन व्रत क्यों लिया है,अब तो इसका अंत करो।
माँ बहनों की रक्षा कुछ प्रबंध करो।।
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ के नारे को,  करके सिद्ध दिखलादो तुम।
महाभारत नहीं कर सकते तो एक दो को फांसी पर लटका दो तुम।।
कवि रामदास गुर्जर
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सरकार से मेरी मांग 
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