एक असफल छात्र के सफल होने की कहानी (See caption) आज अभिनव के लिए बड़ा दिन था।चिकित्सा के क्षेत्र में उसके द्वारा की गई एक बड़ी खोज के लिए उसे नावेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था।इसलिए उसके सम्मान में चिकित्सा संघ द्वारा एक आयोजन किया गया था। अभिनव को मंच पर अपनी ज़िंदगी के पलों को सांझा करने और आने वाले नए डॉक्टरों को प्रेरित करने के लिए बुलाया गया।फिर अभिनव ने अपनी बातें एक बच्चे की कहानी से शुरु की। "इंटरमीडिएट की परीक्षा सिर पर थी। शाम के 7 बज रहे थे, वो लड़का अपने कमरे में बैठा पढ़ रहा था कि तभी उसकी छोटी बहन दिव्या ने आकर उसे बताया कि विवेक भैया उसे अपनी बर्थ डे पार्टी के लिए बुलाने आये है। वो लड़का अपने पापा के तबादले की वजह से कुछ दिन पहले ही शहर में आया था इसलिए उसके लिए स्कूल दोस्त सब नए थे। इन नए दोस्तो में ही एक विवेक भी था, विवेक अपने माता पिता की इकलौती बिगड़ी औलाद थी। वो क्योकि नया था तो उसने विवेक को नाराज़ करना ठीक नहीं समझा और वो उसकी मोटरसाइकिल पर बैठकर बर्थडे पार्टी के लिए निकल गया ।जब वो वहाँ पहुँचा तो वहाँ का माहौल उसकी उम्मीद से पूरी तरह अलग था। वहां मेहमानों के नाम पर विवेक के कुछ दोस्त थे और जश्न के नाम पर शराब की बोतलें खुली हुई थी और हवा में सिगरेट का धुआँ किसी का दम घोटने के लिए काफी था। उसे शुरू में ये सब थोड़ा अलग और अजीब लगा पर आहिस्ता आहिस्ता वो इस माहौल में ढलने लगा। वो अब पूरी तरह अपने दोस्त विवेक के रंग में घुल चुका था । पढ़ाई उसे बोझ लगने लगी थी। फिर एक शाम नशे की हालत में वो विवेक की कार के ड्राइवर शीट पर बैठा बेलगाम से सड़क पर गाड़ी भगा रहा था और विवेक उसे और उकसा रहा था कि तभी एक छोटी लड़की जो किनारे खड़ी शायद सड़क पर करने के इंतज़ार में थी , की तभी उस लड़की से गाड़ी जा टकराई । टक्कर इतनी तेज़ थी कि लड़की दूर जा गिरी तब वो लड़का कुछ होश में था पर वह डर गया और इसलिए उसने गाड़ी वहाँ से भगा ली । उन दोनों ने ये भी देखने की कोशिश नहीं की। कि जिसे उसने टक्कर मारी है वो जिंदा भी है या नहीं।उन दोनों को इस बात का सुकून था कि वो इस खतरे से बच गए है और किसी ने उसे देखा नहीं।