परिंदे उठो, फिकर-व-गम से आजाद करो खुद को ,जो है बस... अब उसी रास्ते को चुन लो,जी लो जिन्दगी दिन जो चार बचे है , कर लो बन्दगी अभी कुछ साल और बचे है,सोचना छोड दो अपना मुख मोड लो,उलझा लो खुद को किसी ओर ताने-बाने में , ए जिन्दगी!.. अब तो रस्ता खोल दो,दिल को जीने दो, एहसासों को महसूस करने दो, हवाओं ने रुख बदले है, मुसाफिर लौट के आएँ हैं जो न जाने किस सफ़र पर गए थे ,ए परिन्दो!!..अब तो पिंजरा खोल दो। OPEN FOR COLLAB✨ #ATgirlbg738 • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ Collab with your soulful words.✨ • Must use hashtag: #aestheticthoughts • Please maintain the aesthetics.