जब छोटे थे तब हम बराबर थे, तो अब दीदी को ही प्यार ज्यादा क्यों करते? आज मेरे सामने भी नर्म बन जाओ ना , पापा....मुझे भी कभी सीने से लगाओ ना । आँसू आने से पहले ही पौंछने पड़ते हैं , जग में जो दर्द है वो सारे सहने पड़ते हैं । मेरे भी दर्द थोड़े कम कर जाओ ना , पापा....मुझे भी कभी सीने से लगाओ ना । मैं लड़का हूँ इसलिए बस चुप रहता हूं, कितना सहता हूँ, ये माँ से भी नहीं कहता हूँ । मेरे भी अल्फ़ाज़ सुन जाओ ना , पापा....मुझे भी कभी सीने से लगाओ ना । बचपन में कितने साथ रहा करते थे , कभी रोता तो जल्द से हँसा दिया करते थे । आज फिर से मेरी मुस्कान बन जाओ ना, पापा....मुझे भी कभी सीने से लगाओ ना । दूर होने से डर लगता है, ये लड़का फिर भी गम के सागर को पिया करता है । आज फिर हाथ बढ़ाकर ये दूरियाँ मिटाओ ना, पापा....मुझे भी कभी सीने से लगाओ ना । जब कोई पूछे कैसे हो , तो मुस्का दिया करता हूँ , बस खुद से खुद हर दिन लड़ता हूँ । लड़के भी पराये होते हैं आज इन्हें भी बताओ ना, पापा....मुझे भी कभी सीने से लगाओ ना । ©THE SCRIBBLER OF VERSES #foryoupapa #poetees #Papa #boys #लड़का #लड़का_बनना_आसान_नहीं_होता