यूँ तो मुमकिन नही है कि शिकवा करु अब मगर जुल्म की इंतेहा देखता हूँ क्यों तुझको लगता है काबिल नही हूँ मैं खुद को तुझमे गुम हुआ देखता हूँ ना जाने ये कैसी मोहब्बत है तेरी हर ओर गुलाबी धुँआ देखता हूँ वो तुम जो कहते थे अब मिलना है मुश्किल फिर भी क्यों तुझको हर शहर देखता हूँ क्या पीर है मैं क्या तुझको बताऊ मैं आंखों में तेरी मंजर नए देखता हुँ #albeli mohhbat