फसल_ए_गजल बोया मैंने अपनी नींदों को गवाया मैंने कहते सुना था नींद सो जाती है नज्म़ उकेर आज हकीकत में अपने आँखों में बेसुध पड़ा देखा मैंने लाल से हो चलें है ये नवजात आंख मेरी बिन नींद विरासत ढोता तौहमते बन रहा आगे का मैं इल्म नहीं क्या करूँ इस मसले में दर्द ही तो बयां किया था क्या गुनाह कर दिया मैंने हाँ गलती मेरी मैंने हर्फ को उभारा इतने भी खुश ना हो ऐ जालिम तुमने भी तो कत्ल मेरा कर डाला । अब जो हो बस लिखता ही रह जाऊंगा ऐ तन्हा रात बिन नींद के मैं गजल तेरे पहलु में बोता चला जाऊंगा । #kunu #jazbaat #yqdidi #yqbaba #gajal_ek_sher #nind_aati_nahin