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"अधूरे दिल" तहखाने मे रखे दो दिल अलग हो रहे हैं जो

"अधूरे दिल"
तहखाने मे रखे दो दिल अलग हो रहे हैं
जो देखे थे वो ख्वाब आज खो रहे हैं
सारा जमाना अब सो रहा हैं
तहखाने में रखा दिया आज रो रहा हैं

उसके अंधकार मे बाकी सब सो रहे है
मगर दो दिल आज रो रहे है
उन्हे गलती का अहसास भी हो रहा हैं
मगर ये सारा जहाँ सो रहा हैं

उनकी धड़कने वक्त के संग बढ़ रही हैं
की मानो जैसे कुछ कहने के लिये उमड़ रही हैं
ये वक्त है कि बढ़ा जा रहा है
मगर ये जमाना सोये जा रहा है
BY-ABHIKASH SAYER This poem is inspired to nation
"अधूरे दिल"
तहखाने मे रखे दो दिल अलग हो रहे हैं
जो देखे थे वो ख्वाब आज खो रहे हैं
सारा जमाना अब सो रहा हैं
तहखाने में रखा दिया आज रो रहा हैं

उसके अंधकार मे बाकी सब सो रहे है
मगर दो दिल आज रो रहे है
उन्हे गलती का अहसास भी हो रहा हैं
मगर ये सारा जहाँ सो रहा हैं

उनकी धड़कने वक्त के संग बढ़ रही हैं
की मानो जैसे कुछ कहने के लिये उमड़ रही हैं
ये वक्त है कि बढ़ा जा रहा है
मगर ये जमाना सोये जा रहा है
BY-ABHIKASH SAYER This poem is inspired to nation