Sab Moh Maya Hai उम्मीदों के पंख लगाकर के मै व्यर्थ ही उडता जा रहा था सपनों सी तेज उडानों मे अंधा सा होता जा रहा था स्वप्न दिखाकर जाल बिछाया वो अपना ही बैरी था अपनोे के फेके दाने चुगकर अब मै बस एक कैदी था सात समंदर अपनो के खातिर जब सब दूरी नाप गया तब समझा मै जाकर के पास न कोई अपना था ये हम तुम सब बस फरेब है मै बस मै, एक अकेला सच है अपनापन मित्रता मोह माया बकवास झूठ छलावा था #SadharanManushya #छलावा #मोह #फरेब #जाल #mohmaya उम्मीदों के पंख लगाकर के मै व्यर्थ ही उडता जा रहा था सपनों सी तेज उडानों मे अंधा सा होता जा रहा था स्वप्न दिखाकर जाल बिछाया वो अपना ही बैरी था अपनोे के फेके दाने चुगकर अब मै बस एक कैदी था