वो राह चली थी यादों के यादों में ही वो सिमट गई, मैं खो सा गया था ख्वाबों में जिनकी हर गलियां रुठ गई ।। हर ख्वाब मिटे, हर वादे टूटे हर जख्म मुकम्मल होने लगी, जिस राह मोहब्बत थी उनकी वो राह भी हमसे छूट गई ।। मैं अब भी अकेला तन्हा हूं बस राह उसी की देखता हूं, वो रात हो या बरसात कहीं बस इक टक आंखें तकता हूं ।। मेरा इश्क मुकम्मल हो ना हो फरियाद मेरी बस इतनी है, वो खुश रहे हर पल उतना जितना उन्हें मैं सोचता हूं ।। ©Shayar Akhil #लव #हार्टब्रोकन #