तुम नहीं हो अब हमारे खुद को समझा लूं जरा दिल के अरमानों को दिल में फिर दबा लूं मैं जरा प्यार का हर एक नजारा अब हमारे हक़ नहीं नफरतें तेरी मुझे अब चाहतों से कम नहीं मांगकर तेरी मोहब्बत हम दीवाने हो गए फूल देकर हम तुम्हें अब कंटकों के हो गए क्या तुम्हारा प्यार केवल एक छलावा ही रहा जानकर भी मैं हकीकत बस लुटाता ही रहा आत्मा का आत्मा से अब मिलन होता नहीं अब बिछड़ कर मीत से भी हर कोई रोता नहीं तुम बेगानों की तरह इस भीड़ में फिर खो गए फूल देकर हम तुम्हें अब कंटकों के हो गए हमने तुम पर जान दी तुम जान लेकर चल दिए प्यार के बदले सभी पल नफरतों से भर दिए जब तुम्हें महसूस होंगी अपनी सारी गलतियां आंसुओं में डूबकर खोजोगी मेरी चिट्ठियां सारे अरमां जिन्दगी के अब हमारे सो गए फूल देकर हम तुम्हें अब कंटकों के हो गए #manojkumarmanju #manju #hindipoems