मुदब्बिरों से आजकल डर सा है क्या तेरा गाँव भी शहर सा है लाशें तैरती मिलती है यहां क्या ये तालाब समंदर सा है अंदर से बिल्कुल मेरा घर लगता है ये तेरा दिल भी खंडहर सा है पूरी आवाम चाहती है तुझे तेरा जलवा भी मोदी लहर सा है रात भर सोने नहीं देता मुझे तेरा इश्क़ भी सहर सा है।। #PoliticsInLove