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रंग रूप काहे देखे तू सुंदर तो वो दिल से है न आंखों

रंग रूप काहे देखे तू सुंदर तो वो दिल से है
न आंखों से न बातों से प्यार उसे तेरे माथे के तिल से है
होठों से छू कर जिसे रब को पा लेता है वो
बाहों में लेकर तुझे मिलता वो अपनी मंज़िल से है Tu He Manzil Meri
रंग रूप काहे देखे तू सुंदर तो वो दिल से है
न आंखों से न बातों से प्यार उसे तेरे माथे के तिल से है
होठों से छू कर जिसे रब को पा लेता है वो
बाहों में लेकर तुझे मिलता वो अपनी मंज़िल से है Tu He Manzil Meri