शख्शियत मेरी कुछ अजब सी है मेरी जिंदगी की कहानी कुछ गजब सी है मेरे मांझी के दर्द मेरी उम्र से कही ज्यादा ये दुनिया क्या जाने मेरी उम्मीदें मेरा इरादा । हर दिन कभी गिरता कभी संभलता हूँ बस जिंदगी के सफर में मीलों के फासले मैं यूँही चलता हूँ आसमानों में चमकता सितारा बनूं किसी जरूरतमंद का सहारा बनूं इस कौतुहल भरे मन मे तैरते विचारो को ठहरा दूँ अपनी कामयाबी का परचम जग भर में लहरा दूँ खुद को तिरंगे से लिपटा ये जहां छोड़ जाऊं आखिरी दुआ है ये मेरी मैं जिंदगी को मौत यूँही बनाऊं ..।।