“स्त्री का मूल्य” अनुशीर्षक में मैं एक स्त्री या नारी सब पुरुषों पर भारी मत करना कभी अपमान हमारा जग हमीं से ही चलता पुरुष भी जन्म लेकर हमारे ही गोद में पलता ना कभी चाहा कुछ ना कुछ कभी मांँगा अपने हर हिस्से का प्यार