Nojoto: Largest Storytelling Platform

जिंदगी के घाव और भी गहरे हो जाते हैं गैर चाहे कित

जिंदगी के घाव और भी गहरे हो जाते हैं 
गैर चाहे कितना भी मरहम क्यो ना लगाये
अपनो के खंजर का जख़्म चाह कर भी ना भर पाते  हैं #अपना कब हो जाए पराया ये कोई समझ ना पाया#$
जिंदगी के घाव और भी गहरे हो जाते हैं 
गैर चाहे कितना भी मरहम क्यो ना लगाये
अपनो के खंजर का जख़्म चाह कर भी ना भर पाते  हैं #अपना कब हो जाए पराया ये कोई समझ ना पाया#$

#अपना कब हो जाए पराया ये कोई समझ ना पाया#$