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कुछ पल तो ठहर ए वक़्त, इतनी जल्दी क्या है, कर रही

कुछ पल तो ठहर ए वक़्त, इतनी जल्दी क्या है,
कर रही गुफ्तगू हमारी नजर,इतनी जल्दी क्या है।

for full poem read the caption above कुछ पल तो ठहर ए वक़्त, इतनी जल्दी क्या है??
कर रही गुफ्तगू हमारी नजर,इतनी जल्दी क्या है??
हाल-ए-दिल की वो मेरी, समझेंगी,इतनी नासमझी क्या है??
कुछ पल तो ठहर ए वक़्त, इतनी जल्दी क्या है??

साख पर फिर से खिलेंगे नए फूल,
वो मौसम तो आने दे,
आकर मिलेंगी वो मुझसे सबकुछ भूल,
कुछ पल तो ठहर ए वक़्त, इतनी जल्दी क्या है,
कर रही गुफ्तगू हमारी नजर,इतनी जल्दी क्या है।

for full poem read the caption above कुछ पल तो ठहर ए वक़्त, इतनी जल्दी क्या है??
कर रही गुफ्तगू हमारी नजर,इतनी जल्दी क्या है??
हाल-ए-दिल की वो मेरी, समझेंगी,इतनी नासमझी क्या है??
कुछ पल तो ठहर ए वक़्त, इतनी जल्दी क्या है??

साख पर फिर से खिलेंगे नए फूल,
वो मौसम तो आने दे,
आकर मिलेंगी वो मुझसे सबकुछ भूल,

कुछ पल तो ठहर ए वक़्त, इतनी जल्दी क्या है?? कर रही गुफ्तगू हमारी नजर,इतनी जल्दी क्या है?? हाल-ए-दिल की वो मेरी, समझेंगी,इतनी नासमझी क्या है?? कुछ पल तो ठहर ए वक़्त, इतनी जल्दी क्या है?? साख पर फिर से खिलेंगे नए फूल, वो मौसम तो आने दे, आकर मिलेंगी वो मुझसे सबकुछ भूल,