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जनहित की रामायण - 23 यूं तो लेत रहत है, हाई कोर्ट

जनहित की रामायण - 23
यूं तो लेत रहत है, हाई कोर्ट संज्ञान !
फिर भी पहुंच न पात, हर मुद्दे पे ध्यान !!
ऑक्सीजन की कमी से, रोज जा रही जान !
गहन विचार से ही, मिल सकेगा समाधान !!

चारों स्तंभ मिलकर, कर रहे अथक प्रयास !
गलत दिशा में दौड़ रहे, इसका न आभास !!
निस्वार्थ तज्ञों की बिना सुने, दशा ना सुधरेगी !
भगवान जाने कब इन्हें, सही दिशा समझेगी !!

आग लगे पे कुआँ खोदन से, आग से न बच सकते !
अग्निशमन इंतजाम हम, सजग रह करके ही रखते !!
ऑक्सीजन देश के हर कोने में समान है !
इस प्रकृति प्रसाद से तृप्त हर इन्सान है !!

एक जगह से दूजी जगह, हम क्यूं ढ़ो रहे ?
क्यूं न देश के कोने कोने से इसे हम दोह रहे !!
छोटे छोटे प्लांट्स, बड़ी तादाद में थे विद्यमान!
बहुराष्ट्रीयों ने बंद कराये बहुसंख्य संयंत्र संस्थान !!

आज सबके सामने, एक ही स्त्रोत ऑक्सीजन का !
पर्यायी व्यवस्था मिटा, नुकसान किया है जीवन का !!
कोरोना के चंगुल से, ऑक्सीजन निकाल पाता है !
सही गुणवत्ता के उत्पादन पे, ध्यान क्यूं न जाता है !!

पीएसए प्लांट हजारों की संख्या में लगा रहे !
दूने चौगुने दाम दे, जनकोष इसपे लुटा रहे !!
रकम लगे पर जान बचे, तो महँगा भी जायज़ है !
लंगड़े घोड़े पे दाव लगाना, हर हाल नाजायज है !!

पीएसए प्रणाली से, जो ऑक्सीजन जुट पाती है !
फार्माकोपिया मानदंडों पे, वो टिक नहीं पाती है !!
बुद्धिजीवियों को किनारे, करने के परिणाम है !
लक्ष्मीपति की सोच में मुनाफा ही पूर्णविराम है !!

कुछ डरे सहमें, कुछ को कूच करा दिया !
जो कुछ बचे उन्हें, हवालात दिखा दिया !!
ड़र जन-अफसर-जज सभी में, घर कर बैठा अंदर तक !
ड़र मिटे बिना, समाधान बिन, काटेंगे चक्कर पे चक्कर !!

जरुरत के आधार पे, हर शहर में प्लांट लगाओ !
अनुदान, सहभागिता, उद्योग संचालित इन्हें बनाओं !!
एक बार बहुराष्ट्रीयों ने, ले ली प्राणवायु संयत्रों की जान !
तीसरे दिन जी उठ सकने का, सबको न मिलता वरदान !!

नई ऊर्जा नई चेतना नये जोश से, जब लगेंगे प्लांट शहरों में !
देखने न पड़ेंगे हमें, तैरते शव, मां गंगा की पवित्र लहरों में !!
- आवेश हिन्दुस्तानी 01.06.2021

©Ashok Mangal #AaveshVaani 
#JanhitKiRamayan 
#OxygenCrisis 
#JanMannKiBaat
जनहित की रामायण - 23
यूं तो लेत रहत है, हाई कोर्ट संज्ञान !
फिर भी पहुंच न पात, हर मुद्दे पे ध्यान !!
ऑक्सीजन की कमी से, रोज जा रही जान !
गहन विचार से ही, मिल सकेगा समाधान !!

चारों स्तंभ मिलकर, कर रहे अथक प्रयास !
गलत दिशा में दौड़ रहे, इसका न आभास !!
निस्वार्थ तज्ञों की बिना सुने, दशा ना सुधरेगी !
भगवान जाने कब इन्हें, सही दिशा समझेगी !!

आग लगे पे कुआँ खोदन से, आग से न बच सकते !
अग्निशमन इंतजाम हम, सजग रह करके ही रखते !!
ऑक्सीजन देश के हर कोने में समान है !
इस प्रकृति प्रसाद से तृप्त हर इन्सान है !!

एक जगह से दूजी जगह, हम क्यूं ढ़ो रहे ?
क्यूं न देश के कोने कोने से इसे हम दोह रहे !!
छोटे छोटे प्लांट्स, बड़ी तादाद में थे विद्यमान!
बहुराष्ट्रीयों ने बंद कराये बहुसंख्य संयंत्र संस्थान !!

आज सबके सामने, एक ही स्त्रोत ऑक्सीजन का !
पर्यायी व्यवस्था मिटा, नुकसान किया है जीवन का !!
कोरोना के चंगुल से, ऑक्सीजन निकाल पाता है !
सही गुणवत्ता के उत्पादन पे, ध्यान क्यूं न जाता है !!

पीएसए प्लांट हजारों की संख्या में लगा रहे !
दूने चौगुने दाम दे, जनकोष इसपे लुटा रहे !!
रकम लगे पर जान बचे, तो महँगा भी जायज़ है !
लंगड़े घोड़े पे दाव लगाना, हर हाल नाजायज है !!

पीएसए प्रणाली से, जो ऑक्सीजन जुट पाती है !
फार्माकोपिया मानदंडों पे, वो टिक नहीं पाती है !!
बुद्धिजीवियों को किनारे, करने के परिणाम है !
लक्ष्मीपति की सोच में मुनाफा ही पूर्णविराम है !!

कुछ डरे सहमें, कुछ को कूच करा दिया !
जो कुछ बचे उन्हें, हवालात दिखा दिया !!
ड़र जन-अफसर-जज सभी में, घर कर बैठा अंदर तक !
ड़र मिटे बिना, समाधान बिन, काटेंगे चक्कर पे चक्कर !!

जरुरत के आधार पे, हर शहर में प्लांट लगाओ !
अनुदान, सहभागिता, उद्योग संचालित इन्हें बनाओं !!
एक बार बहुराष्ट्रीयों ने, ले ली प्राणवायु संयत्रों की जान !
तीसरे दिन जी उठ सकने का, सबको न मिलता वरदान !!

नई ऊर्जा नई चेतना नये जोश से, जब लगेंगे प्लांट शहरों में !
देखने न पड़ेंगे हमें, तैरते शव, मां गंगा की पवित्र लहरों में !!
- आवेश हिन्दुस्तानी 01.06.2021

©Ashok Mangal #AaveshVaani 
#JanhitKiRamayan 
#OxygenCrisis 
#JanMannKiBaat
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Ashok Mangal

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