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ये परिवार, अपने, पराये कौन लोग होते हैं ये....?

ये परिवार, अपने, पराये
कौन लोग होते हैं ये....? 
 मुझे आज तलक समझ न आये ये,
यहाँ कौन अपना, पराया कौन हैं
ये फरक आज तक न कर पायी मैं,
सब कहते हैं, 
की अपने होते हैं सुख दुःख के साथी
पर, मैंने अक्सर देखा हैं यहाँ
अपने ही होते हैं, दुःख के कारण अपनो का
कभी इष्या तो कभी घृणा और न जाने क्या- क्या
छुपाए रखते हैं मन में,
हर पल हर घड़ी इक नया स्वांग हैं रचते,
सामने कुछ और पीठ पीछे कुछ और बनते फिरते हैं,
बस दिखावें का हीे, ये अपने बनते फिरते हैं
इसलिए, अब लगता हैं जैसे
अपने पराये और पराये अपने होते जा रहे हैं....

©Sweety mehta
  #whatever#dikhwaapnoka