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चिरागों सी जिंदगी बनाई है मैंने चारौ तरफ़ रौशनी तो

चिरागों सी जिंदगी बनाई है मैंने
चारौ तरफ़ रौशनी तो ख़ूब फैली पर
मेरे ही क़दमो तले अँधेरा रह गया ! अप्राप्य की ओर, दिशाहीन होकर भाग रहे हैं।
हर कोई असंतुष्ट है।
अमीर-गरीब की खाई बढ़ती जा रही है।
हर देश की सरकार गरीबों के सहारे बनती है और नीति-निर्घारण अमीरों
अथवा विकसित देशों को ध्यान में रखकर किया जाता है।
यही बढ़ते भ्रष्टाचार का मूल कारण भी है और सार्वजनिक जीवन में
इसी कारण नैतिकता का पतन भी हो रहा है।
लक्ष्मी के वाहन की
चिरागों सी जिंदगी बनाई है मैंने
चारौ तरफ़ रौशनी तो ख़ूब फैली पर
मेरे ही क़दमो तले अँधेरा रह गया ! अप्राप्य की ओर, दिशाहीन होकर भाग रहे हैं।
हर कोई असंतुष्ट है।
अमीर-गरीब की खाई बढ़ती जा रही है।
हर देश की सरकार गरीबों के सहारे बनती है और नीति-निर्घारण अमीरों
अथवा विकसित देशों को ध्यान में रखकर किया जाता है।
यही बढ़ते भ्रष्टाचार का मूल कारण भी है और सार्वजनिक जीवन में
इसी कारण नैतिकता का पतन भी हो रहा है।
लक्ष्मी के वाहन की

अप्राप्य की ओर, दिशाहीन होकर भाग रहे हैं। हर कोई असंतुष्ट है। अमीर-गरीब की खाई बढ़ती जा रही है। हर देश की सरकार गरीबों के सहारे बनती है और नीति-निर्घारण अमीरों अथवा विकसित देशों को ध्यान में रखकर किया जाता है। यही बढ़ते भ्रष्टाचार का मूल कारण भी है और सार्वजनिक जीवन में इसी कारण नैतिकता का पतन भी हो रहा है। लक्ष्मी के वाहन की #पंछी #पाठक #हरे #शुभदीपावली