पाक और नापाक का फर्क समझ आता नही मुझे , पाखंड का ये खेल भाता नही मुझे, खून का घुट पी के रहते है सब , बुरा लगता है पर खामोश सहते है सब, जब लुटती है, आबरु औरत की, गवाही देने से भीे डरते है सब। दो दिन याद रखते है खौफनाक हादसे, चौराहो पे तब रोशन चिराग करते है सब नजरिया ही नही नजारा बदल जाएगा, हर भेड़िये के चेहरे से ये नकाब उतर जाएगा, इंसान ही इंसान से कब तक खौफ खाएगा बहुत हुआ बस अब बस तोड़ दो ये दोगले रिवाज, बेटी हो तो रोए दुनिया, बेटा हो नाज। जो आएगी अपने पे औरत, औलाद को आदमी तरस जाएगा, जब बेइज्जत करेगा बाहर जाकर घर की इज्जत कैसे बचाएगा। घर की इज्जत कैसे बचाएगा। Love#emotions#poetry#nojotopoetry#pain#story#noidapoet#delhipoets# https://www.facebook.com/sahastrar/#