हर मोड़ पर खफ़ा तक़दीर मेरी, हर राह पर तूफ़ान है, ठोकरों से सजी है राहें मेरी, वाक़िब हूँ इन मंज़र से, पर संभल नही पाता, क्या करू की कुछ समझ नही आता..!! #✍✍✍✍✍✍