चलो फिर से उस राह पर चलते हैं जहाँ मोगरे के फूल खिला करते थे चलो फिर से रतजगों को ओढ़ते है ख़्वाबों को मोड़ते है फिर से एक बार फिर चाँद बन कर कभी ढलते हैं चलो फिर से उस राह पर चलते हैं चलो फिर से हम सुकून बन जाएँ और फुर्सत भी लाज़मी हो देखते है इस दफ़ा एहसास क्या पलते हैं चलो फिर से उस राह पर चलते हैं चलो फिर से तुम शमा जलाओ मैं रात सजता हूँ जुगनुओं के ज़ानिब उम्मीद से जलते हैं चलो फिर से उस राह पर चलते हैं चलो फिर से उस राह पर चलते हैं जहाँ मोगरे के फूल खिला करते थे ©Mo k sh K an #Zen #Hope #prayer #Love #Blessed #mokshkan