इश्क क्या खाक मजा देगा कुछ नही दिल को सजा देगा हर रोज आखो से नीद उड़ाकर तेरी खुशियो की बैंड बजा देगा चैन सुकून सबकुछ लूटा कर एक दिन ख़ाक मे मिला देगा नशा इस कदर छाएगा तुमपर निगाहों से यूँ जाम पिला देगा लबों की खामोशी पे मत जाना वो तो निगाहों से ही जता देगा कितना छुपाओगे राज अपना तेरा हुलिया सबकुछ बता देगा किस पर यकीन करोगे "शुभ" तेरा दिल ही जब तुझे दग़ा देगा शायर शुभ;/¡! इश्क क्या खाक मजा देगा कुछ नही दिल को सजा देगा हर रोज आखो से नीद उड़ाकर तेरी खुशियो की बैंड बजा देगा चैन सुकून सबकुछ लूटा कर एक दिन ख़ाक मे मिला देगा