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रह गए ख़्वाब अधूरे , जो सपने सँजोये थे गिन-गिन.. गा

रह गए ख़्वाब अधूरे , जो सपने सँजोये थे गिन-गिन..
गायब हो गई आंखों की नींद, घूट-घूट जीते उसके बिन..
कड़वी लगती बातें सबकी, सुना लगता है हर दिन..
अजब की लीला है भगवन कि डाल दिया मजधार में ..
कैसे विशारु उसको मन से, मन है सोच-विचार में..
क्या आएगा बसन्त फिर जीवन में, क्या रंग चढ़ेगा होली में..
या जिंदगी कैद रह जायेगी डिप्रेशन की गोली में.. कोई अन्यथा न ले इस कविता को।
#shadesoflife
रह गए ख़्वाब अधूरे , जो सपने सँजोये थे गिन-गिन..
गायब हो गई आंखों की नींद, घूट-घूट जीते उसके बिन..
कड़वी लगती बातें सबकी, सुना लगता है हर दिन..
अजब की लीला है भगवन कि डाल दिया मजधार में ..
कैसे विशारु उसको मन से, मन है सोच-विचार में..
क्या आएगा बसन्त फिर जीवन में, क्या रंग चढ़ेगा होली में..
या जिंदगी कैद रह जायेगी डिप्रेशन की गोली में.. कोई अन्यथा न ले इस कविता को।
#shadesoflife