नया आरम्भ ये लड़की भी न… कितनी अजीब है… रात की स्याही में… उंगलियां डुबाकर… दिन की बही लिखती है, और जब थक जाती है… तो नींद की कफ़न ओढ़े… सो जाती है वो… इस उम्मीद में कि… फिर एक नई सुबह… अपूर्ण ज़िन्दगी का… शायद कोई नया… आरम्भ लिखे… :- प्रीति आर्या ©Preeti Arya aka Priyeet #preeti_arya #midnightthoughts #hindi_poetry #poetryislove #priyeetwrites