नाराज नहीं उससे, बहुत परेशान हूँ मैं, दुख देते देते वो भूल गया, पत्थर नहीं इंसान हूँ मैं, अफ़सोस रहेगा सदा कि उसने कभी दुख में साथ नहीं दीया, दुख इतने दिए कि अब बिल्कुल बेजान हूँ मैं, साथ देता वो अगर तो सफर खूबसूरत था अपना भी, पर आज महज एक रास्ता सुमसान हूँ मैं, कल तक जो जीता था उसके लिए आज मर चुका वो "वेद", कोई पूछे तो बता देना जीता जागता श्मसान हूँ मैं, हर एक का हो जाऊं इतना सस्ता थोड़ी हूँ, पर उसका होने के लिए कितना आसान हूँ मैं, मेरे प्यार की कद्र ना कर लगी थी कामों में अपने, काश वो समझ पाती कि उसके लिए पूरा आसमान हूँ मैं, जिसे मर्जी चाहे वो चाह ले आज, उसकी खातिर कह दूंगा सबसे कि उसके लिए अनजान हूँ मैं, कैसी भी सही वो हम दिल से दुआ करते हैँ वो सदा खुश रहे, खुद दुखों में रह लूँ पर उसकी खुशियों का रोशनदान हूँ मैं।। ....वेद बैरागी~ #Mdh