भीग जाने दे उसे जो सूखा पड़ा है. तेरे शहर में हर कोई टूटा पड़ा है. किरदार नहीं वो किसी कहानी का. फिर भी उसमें कुछ किस्सा पड़ा है. सब मिट गया जो ख़त मे लिखा था. कैसे मिटेगा जो दिल मे लिखा पड़ा है. उसमें मैं ही क्यूँ दिखता हूं हर दफ़ा. क्या उसकी आँखों में शीशा पड़ा है. जब आना मुखौटा उतार कर आना. हर किसी का चेहरा छुपा पड़ा है. जब आना मुखौटा उतार कर आना...