बीच भंवर में आकर डूब जाती है मेरी कश्ती ही समंदर हो जाती है मैं देखता ही रह जाता हूँ हर बार हर लहर मुझको डूबाकर गुजर जाती है तेरे जाने के बाद बहुत तन्हा हो जाऊंगा ये बात मुझको खाए जाती है सहेजकर रखता हूँ तेरा हर अल्फाज़ तेरी बाते मेरी डायरी हो जाती है लिखता नहीं हूँ कुछ भी अपनी मर्जी से मेरे हालात ही मेरी शायरी हो जाती है बीच भंवर में आकर डूब जाती है मेरी कश्ती ही समंदर हो जाती है मैं देखता ही रह जाता हूँ हर बार हर लहर मुझको डूबाकर गुजर जाती है तेरे जाने के बाद बहुत तन्हा हो जाऊंगा ये बात मुझको खाए जाती है