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मोहब्बत का महीना यूं ही हर साल आता है प्यार के नाम

मोहब्बत का महीना यूं ही हर साल आता है
प्यार के नाम पर गुलाब  यूं ही बिक जाता है
खाकर कसमें इंसान ना जाने कब बदल जाता है
अपने किए हुए वादे से हर बार यूं ही मुकर जाता है 
मुझे तो याद है फरवरी में अपने वीरों की कुर्बानी 
उनके परिवार वाले और उनके आंसुओं की कहानी
एक एक टुकड़ा मिला जब उन्हें अपने संतान का
पूछने लगे दाह संस्कार कैसे करूं इससे इंसान का
मैंने तो भेजा था अपने लाडले को पूरे टुकड़े में
लिपट कर आया वो मेरे पास सिर्फ एक चिथरे में
खून के आंसू रोया उस दिन हमारा पूरा हिंदुस्तान था
आतंकियों ने उस दिन ताक पर रखा हमारा सम्मान था
मुबारक हो तुम्हे यह मोहब्बत का महीना हर साल मनाओ पर
दिल से एक दिया शहीद हुए उन वीरों के लिए जरूर जलाओ
उस मां की कोख सुनी हो गई जिसने बच्चे को प्यार से पाला था
वो बच्चा शेर की तरह आखरी वक्त भी मातृभूमि के लिए दहाड़ा था

शिवम् सिंह भूमि 💖💖

©Divya Kaushik
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