प्यार की मेहफिल से शब्दो की मेहफिल मे, ज्यादा लागावं राखते है, प्यार की मेहफिल में, दिल बेहेकता है, लेकीन शब्दो की मेहफिल में, शब्दोसे प्यार होता है, और शब्द कबीभी रुठते नही... मनाते है रुठते हुए दिलों को.. - शुभम दिपक कांबळे #darkness of love