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#बे-बेहर इस तरह बुलंद अपनी हस्ती नही करूँगा । मैं

#बे-बेहर
इस तरह बुलंद अपनी हस्ती नही करूँगा ।
मैं पेड़ो को  काटकर बस्ती नही करूँगा  ।

गुस्ताखी यह की कोई पसन्द आ गया ,
नियत है यह की जबरदस्ती नही करूँगा ।

नाँव का मन हुआ तो बैठूंगा उस पर ,
नाखुश बे-मन की कस्ती नही करूँगा ।

उसने टांग रखे है चुनर पर सितारे ,
उठा कर घूंघट क़ीमत सस्ती नही करूँगा ।
✍️विनोद #shayri #VinodMehra  #vinodmehrashayari #vinodmehra_shayri #poem  #Poetry  #follow  #kavita  #Live  

#HindiDiwas2020
#बे-बेहर
इस तरह बुलंद अपनी हस्ती नही करूँगा ।
मैं पेड़ो को  काटकर बस्ती नही करूँगा  ।

गुस्ताखी यह की कोई पसन्द आ गया ,
नियत है यह की जबरदस्ती नही करूँगा ।

नाँव का मन हुआ तो बैठूंगा उस पर ,
नाखुश बे-मन की कस्ती नही करूँगा ।

उसने टांग रखे है चुनर पर सितारे ,
उठा कर घूंघट क़ीमत सस्ती नही करूँगा ।
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