आँखें मेरी छलकी-छलकी सी रहती हैं। अब इनमें तुम्हारी मौजूदगी रहती है।। जो है देखो पल-पल , तन मन की उलझन। दिल में छपी जो यादें अब , मेरे मन में रहतीं हैं।। नाम तुम्हारा है जुबां पर , नजरें ढूढा करती हैं। भारी बोझिल कदमों से , कितना ये हलकी रहती हैं।। ठहरो देखो न जाना तुम , नम आँखों को पोछूं मैं। आज नहीं अब कल होगा , उम्मीद ये टलती रहती है।। तस्वीर बसी जो नजरों में , दिल तक इसका सफर सुनो। ठहरे स्थिर कदमों से , बेबाक ये चलती रहती हैं।। ©RamUnij Maurya #रामउनिज_मौर्य #safar