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अगर और सितम बाकी हों तो कर डालो, ना जाने कब तेरे प

अगर और सितम बाकी हों तो कर डालो,
ना जाने कब तेरे पिंजरे से हम रिहा हो जाऎं।
खुदा फिर उसको ना रूबरू करना मुझसे ,
ना जाने कौन सी अदा पे फिर फिदा हो जाएं। ,#__बेवफा
अगर और सितम बाकी हों तो कर डालो,
ना जाने कब तेरे पिंजरे से हम रिहा हो जाऎं।
खुदा फिर उसको ना रूबरू करना मुझसे ,
ना जाने कौन सी अदा पे फिर फिदा हो जाएं। ,#__बेवफा
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