होठ चुप थे आँखो ही आँखो में इसारे हो गए गिरती हुई बर्फ मे आफताब के नजारे हो गए उसकी मुस्कराहट ने मेरे गमों को यूं समेट लिया यू प्यासे को पानी के सहारे हो गए उसकी अदाओ ने इस कदर वार कर दिया इश्क़ के बाज़ार मे दिल के ख्सारे हो गए पिंजरे बंद पंछी को उडने की इजाज़त कया मिली भूली सब बातें रिश्तेदार उनके अब तारे हो गए हुस्ने आदाओ का जलवा जा मर्द की फितरत कहो शादी सुधा भी कुछ पलों में कुआरे हो गए होठ चुप थे (Meer) Musher Ali