एक शाम, पापा की याद आ गई.. उनके साथ पल बिताना याद आया कुछ पल के लिए जब मेरी उंगलियां पापा के हथेलीबद्ध बंधन से छूटकर निकल जाया करती थीं उनके, अंदर की फ़िक्र याद आ गई.. आज, बड़ा हो गया हूँ.. कंधों पर बोझ आ गई कुछ बनना हैं, यह धुन सवार हो गई.. नहीं होता अब वक्त इतना कि फिर से उन्हें कह सकूं की पापा, आज फिर से मेरी उंगलियां थाम लो न क्योंकि वो शाम आज फिर लौट आ गई.. साथ मे उन पलों की याद दिला गई.. मेरे पापा Pratibha Tiwari(smile)🙂 shibani🌹 Sanjay Sanju Panwar