किसी से रंज ओ गिला शिकवा शिकायत क्या कीजे ख़ुद चुना अपना ख़ुदा पढ़ी आयत बताओ क्या कीजे आज घुटी आवाज़ में हम हर राज़ दबाये बैठे है दिल की मैना बन गई बाज़, बताओ क्या कीजे जिस रोज़ का इंतजार हम रोज़ किया करते थे ख़ामोश गुज़र रहा है आज बताओ क्या कीजे हमनें ता-उम्र एक चेहरा शिद्दत से निहारा था उसने मुड़के न देखा आज बताओ क्या कीजे जिनकी वफ़ा की ख़ातिर "मृगतृष्णा" गमख़ार हुए जफ़ा की राह हुआ न शर्मसार बताओ क्या कीजे ©sanjeev_mrig_trishna #NojotoQuote kisi se ranj o gila