वो इश्क़ था मेरा मैं उसकी ज़िन्दगी करती रही मैं उसकी खुदा से इबादत और बंदगी उससे इश्क़ क्या हुआ ख़ुद को भुला बैठे ज़माना मुझसे सौ सौ सवाल करते रहे पल भर का इश्क़ उम्र भर का दर्द ढूंँढ़ रहीं मेरी नज़रें तुझे दर–ब–दर चुप के से यूंँ छुप के जाने कहांँ चले गए तुम मेरे इश्क़ की इंतेहा तो देखिए जनाब दर दर भटक प्यार की खातिर एक तुझे ही आज भी पागलों की तरह ढूंँढ रही हूंँ ♥️ Challenge-806 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।