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तुमसे मिलकर मुझे ख़ुद से प्यार हुआ, जीने की चाहत व

तुमसे मिलकर मुझे ख़ुद से प्यार हुआ, 
जीने की चाहत वो उमंग जगा। 

मेरी हर मजबूरी, मेरी हर भटकन को, 
एक ठहराव मिला।

मुझ पर भी कोई अपना हक़ रखता है, 
यह अहसास मुझे भी पहली बार हुआ। 

तुम औरों से कब हो, तुमने पल भर में, 
मन के सन्नाटों का मतलब जान लिया। 

जितना मैं अब तक ख़ुद से अनजान रही, 
तुमने वो सब पल भर में ही पहचान लिया। 

प्यार तुम्हारा पाकर, मुझे ख़ुद से प्यार हुआ, 
हाँ मुझे तुमसे और सिर्फ़ तुमसे प्यार हुआ।  🎀 Challenge-327 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 50 शब्दों अथवा 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।
तुमसे मिलकर मुझे ख़ुद से प्यार हुआ, 
जीने की चाहत वो उमंग जगा। 

मेरी हर मजबूरी, मेरी हर भटकन को, 
एक ठहराव मिला।

मुझ पर भी कोई अपना हक़ रखता है, 
यह अहसास मुझे भी पहली बार हुआ। 

तुम औरों से कब हो, तुमने पल भर में, 
मन के सन्नाटों का मतलब जान लिया। 

जितना मैं अब तक ख़ुद से अनजान रही, 
तुमने वो सब पल भर में ही पहचान लिया। 

प्यार तुम्हारा पाकर, मुझे ख़ुद से प्यार हुआ, 
हाँ मुझे तुमसे और सिर्फ़ तुमसे प्यार हुआ।  🎀 Challenge-327 #collabwithकोराकाग़ज़

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