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नजारे देखने दो मुझे, पतझड़ छोड़ आया हूं. गर्म पानी क

नजारे देखने दो मुझे,
पतझड़ छोड़ आया हूं.
गर्म पानी की सेंक दे,
कंकर की चुभन पाया हूं..
दिख रहा है फूल अब,
कांटों के रस्ते पार कर.
आ यहीं दुनिया बसा लें,
दिल बचा कर लाया हूं.

©Sanjeev Jha
  #पूर्णिया #वादियां #माउंटेन_फूट