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माना जो खुदको कान्हा तो, क्या राधा कहलाओगी? बन ज



माना जो खुदको कान्हा तो, क्या राधा कहलाओगी?
बन जाऊं मै राम अगर, सीता सा प्रेम जताओगी?

राग प्रीत के गाने को तो हम भी गाते जाएंगे,
हुए समर्पित तुम पर तो क्या प्रीत की रीत निभाओगी?

नैनो के प्याले से यूँ जो सोम सा रस बरसाया है,
रहना चाहें इनमे तो क्या इसको हमें पिलाओगी?

छोड़ के सारे बंधन हम तो प्रीत के रंग में रंग बैठे,
प्रेम के बंधन को अपना क्या मीत के गीत सुनाओगी?

लिखने को तो मै भी लिख दूँ, इश्क़-मोहब्बत-प्यार-वफा,
बिना लिखे दिल के ये पन्ने दिल से क्या पढ़ पाओगी?

भले ग़ज़ल लिख दी हैँ मैने, कुछ छूटा सा लगता है,
जोड़ के अपना नाम भी इसमे मुकम्मल इसे बनाओगी?

शुभम सक्सेना 'शुभ'

©Shubham Saxena
  

माना जो खुदको कान्हा तो, क्या राधा कहलाओगी?
बन जाऊं मै राम अगर, सीता सा धर्म निभाओगी?

राग प्रीत के गाने को तो हम भी गाते जाएंगे,
हुए समर्पित तुम पर तो क्या प्रीत की रीत निभाओगी?

माना जो खुदको कान्हा तो, क्या राधा कहलाओगी? बन जाऊं मै राम अगर, सीता सा धर्म निभाओगी? राग प्रीत के गाने को तो हम भी गाते जाएंगे, हुए समर्पित तुम पर तो क्या प्रीत की रीत निभाओगी? #Shayari #nojoto❤ #ghajal #ShubhamKiKalamSe

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