जंगलों से जुदा ना आपको जुदाई की आग में त्याग; होश में आ ऐ मेरे दिल! जल्दी जाग। **** **** **** **** कर रहा है मनुष्य पूर्णतया खुद को जंगलों से जुदा ऐ खुदा! बचा बाग। **** **** **** **** मात्र मकान या दुकान ही नहीं बल्कि बगीचे बना, जितना खरीदा भू-भाग **** **** **** **** और मत पढ इस कविता को कभी अगर तुझे लगता है मेरा विचार नाग।। ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #जंगलों_से_जुदा #leaf